विपश्यना एक ध्यान साधना है। जो भारत में हजारों वर्षों से प्रचलित है और पिछले कुछ दशकों में पश्चिम में तेजी से लोकप्रिय हुई है। विपश्यना एक पाली शब्द है जिसका अर्थ है “अंतर्दृष्टि” या “चीजें जैसी हैं वैसी ही देखना।” (VIPASHYANA COURSE) दस दिवसीय विपश्यना शिबीर में विपश्यना ध्यान तकनीक सिखाई जाती है और पूरी तरह से अनुभव की जाती है।
भारत में ये शिविर एस.एन. गोयंका द्वारा स्थापित Vipassana Research Institute (VRI) द्वारा संचालित। विपश्यना सीखने या आरंभ करने के लिए, विपश्यना का संपूर्ण ज्ञान आवश्यक है, जिसकी शुरुआत 10 दिवसीय शिविर से होती है। यह शिविर भारत में कई विपश्यना केंद्रों के माध्यम से आयोजित किया जाता है।

विपश्यना पाठ्यक्रम एक चुनौतीपूर्ण और परिवर्तनकारी अनुभव है जिसके लिए उच्च स्तर की प्रतिबद्धता और अनुशासन की आवश्यकता होती है। प्रतिभागियों को एक सख्त कार्यक्रम का पालन करने के लिए सहमत होना चाहिए, जिसमें सुबह 4:00 बजे उठना, दिन में दस घंटे ध्यान करना और शिवीर के दौरान आर्य मौन का पालन करना शामिल है।
आर्यमौन
इस दस दिवसीय शिविर में आर्य मौन का पालन करने के लिए आर्य मौन आवश्यक है।आर्य मौन का अर्थ है दस दिन तक मौन धारण करना लेकिन इसके अलावा किसी से नजर न मिलाना और हाथ और आंख के इशारे से भी दूसरों से संपर्क न करना। आर्य मौन के समुचित पालन के लिए केंद्र के माध्यम से आवश्यक व्यवस्था की जाती है। किसी वस्तु या सहायता की आवश्यकता होने पर एक निश्चित स्थान पर एक कागज और एक कलम होती है और उस पर संदेश लिखने के आदेश होते हैं। इसके बाद स्वयंसेवक संदेश को पढ़ते हैं और उसे पूरा करते हैं। साथ ही यदि आपको विपश्यना के संबंध में कोई समस्या है तो आप समस्या के समाधान के लिए दोपहर 12:00 बजे से 12:30 बजे के बीच आचार्यसे धम्म हॉल में जाकर मिल सकते है।
धम्माहाॅल
धम्माहाॅल में समूह में ध्यान किया जाता है। आचार्य सामने बैठते हैं और सभी के बैठने का एक निश्चित स्थान होता है। धम्म हॉल में ध्यान के लिए आवश्यक और पौष्टिक वातावरण बनाया जाता है।
आचार्य
पाठ्यक्रम का नेतृत्व एक अनुभवी आचार्य करते हैं। जिन्होंने कई वर्षों तक विपश्यना का अभ्यास किया है और पूरे शिविर में साधको का मार्गदर्शन करते हैं और किसी भी कठिनाई का समाधान करते हैं।
समय सारणी
दस दिनों तक शिविर के कार्यक्रम का कड़ाई से पालन किया जाता है। दिन की शुरुआत ठीक सुबह 4:00 बजे होती है। स्वयंसेवक दरवाजे के सामने एक छोटी सी घंटी बजाकर उठते हैं और फ्रेश होकर 4:30 बजे ध्यान शुरू कारण पडता है। ये ध्यान कुछ निश्चित विरामों के साथ सत्र पूरे दिन जारी रहता है। कार्यक्रम इस प्रकार है।

नाश्ता और दोपहर का भोजन
- नाश्ता सुबह 6:30 से 7:15 बजे के बीच परोसा जाता है।
- दोपहर का भोजन 11:00 बजे से 11:45 बजे के बीच परोसा जाता है
- शाम 5:00 बजे से 5:30 बजे के बीच नाश्ता या लिम्बुपानी होता है।
- इसके बाद खाना नहीं होता है।
आवास
साधकों के लिए अलग कमरे की व्यवस्था की गई है। कुछ जगहों पर शयनगृह होते हैं जहां प्रत्येक के लिए एक अलग बिस्तर होता है।

यदि आप अपने ध्यान अभ्यास को गहरा करना चाहते हैं या स्वयं की गहरी समझ प्राप्त करना चाहते हैं, विकारों को दूर करना चाहते हैं और एक संतुष्ट, शांतिपूर्ण और निर्मल जीवन जीना चाहते हैं, तो विपश्यना शिविर करें। हालांकि अनुभव चुनौतीपूर्ण है, यह बेहतर परिणाम के लिए प्रयास के लायक है। अगले लेख में, हम चर्चा करेंगे कि शिविर के लिए पंजीकरण कैसे करें। अधिक जानकारी के लिए, dhamma.org वेबसाइट पर जाएँ।
विपश्यना क्या है?